ये लड़की बेजुबानों का बनी सहारा, मां के नाम पर शुरू किया NGO, रेस्क्यू सेंटर बना कर रही मुफ़्त इलाज

ये लड़की बेजुबानों का बनी सहारा, मां के नाम पर शुरू किया NGO, रेस्क्यू सेंटर बना कर रही मुफ़्त इलाज

Neha Rawat Animal Lover : नेहा रावत बनी बेजुबान जानवरों का सहारा ,माँ के नाम पर बनाया NGO

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परमात्मा ने इंसान को बोलने की क्षमता दी है जिससे वह अपने दर्द दूसरे से बयां कर सकता है. लेकिन, जानवर अपने दर्द और अपनी भूख-प्यास को किसी को बता नहीं सकते हैं. सबसे ज्यादा वफादार माने जाने वाले डॉगी के नन्हे बच्चे सड़कों पर गाड़ियों के नीचे दबकर या बीमार होकर दम तोड़ देते हैं. कुछ लोग उन्हें बचाते हैं, उन्हीं में से एक है देहरादून की नेहा रावत, जो बचपन से ही एनिमल लवर रही है. बेजुबान जानवरों के दर्द को समझकर उनकी मदद करती आई हैं. उन्होंने एक एनजीओ की शुरुआत कर डॉगी का रेस्क्यू कर लोगों को अडॉप्शन करने का अभियान शुरू किया. आज उनके साथ स्कूल और कॉलेज के छात्र जुड़कर काम कर रहे हैं. वे लोगों को डॉगी के बच्चों को अडॉप्ट करने के लिए कन्विंस करते नजर आते हैं.

एनिमल लवर नेहा रावत घायल जानवरों का करती है देख भाल 

पशु प्रेमी नेहा रावत ने बताया कि उन्हें बचपन से ही जानवरों से बहुत प्यार रहा है. वह उनके लिए कुछ करना चाहती थी, इसीलिए उन्होंने अपनी मां के नाम पर ही एनजीओ का नाम रख दिया. उन्होंने बताया कि डेढ़ साल पहले उन्होंने ‘पद्मिनी- फ्रेंड्स फॉर एनिमल’ के नाम से एक संस्था की शुरुआत की और स्ट्रीट डॉग्स पर काम करना शुरू कर दिया.

उन्होंने बताया कि वह उन डॉग्स को ट्रीटमेंट देने का काम भी करती है जो सड़कों पर बीमार होते हैं. वहीं दूसरी ओर, वह डॉग्स के बच्चों को अपने शैल्टर में ले आती हैं और फिर हर रविवार को वह अडॉप्शन कैम्प लगाकर लोगों से इन प्यारे नन्हें मुन्ने डॉग्स को अडॉप्ट करवाती हैं.

नेहा रावत युवाओ को कर रही है जागरूक

नेहा बताती है कि उनके शैल्टर में लगभग 30 डॉग्स है और अभी फिलहाल उन्हें कोई भी फंडिंग नहीं होती है, इसीलिए वह अपनी जेब से ही इन कुत्तों का खर्च चलाती हैं. उनका कहना है कि इंसान तो अपने दुख को अपनी जुबान से बता देता है. लेकिन, यह बेजुबान जानवर कुछ नहीं कह सकते हैं, लेकिन अगर हम सब मिलकर उनकी जिंदगी को बचाने की कोशिश करें तो हम बचा सकते हैं. नेहा ने बताया कि उनके साथ स्कूली और कॉलेज बच्चे भी काम कर रहे हैं. उन्हें बहुत अच्छा लगता है जब वह युवाओं को इस दिशा में काम करते देखती हैं. संस्था में बतौर वॉलिंटियर काम करने वाले अंकित ने बताया कि वह ग्रेजुएशन कर रहे हैं और जॉब भी कर रहे हैं, लेकिन, इसके साथ ही वह स्ट्रीट डॉग के रेस्क्यू और उनको ट्रीटमेंट दिलवाने में नेहा के साथ जुड़कर काम कर रहे हैं.

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